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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 67: श्रीराम और लक्ष्मण की पक्षिराज जटायु से भेंट तथा श्रीराम का उन्हें गले से लगाकर रोना
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श्लोक 1
श्लोक
3.67.1
पूर्वजोऽप्युक्तमात्रस्तु लक्ष्मणेन सुभाषितम्।
सारग्राही महासारं प्रतिजग्राह राघव:॥ १॥
अनुवाद
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भगवान श्री रामचन्द्र जी सब वस्तुओं का सार ग्रहण करने वाले हैं। उनके द्वारा लक्ष्मण के सारगर्भित उत्तम वचनों को सुनना और उन पर अमल करना इस बात का उदाहरण है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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