श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 66: लक्ष्मण का श्रीराम को समझाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  3.66.7 
 
 
दु:खितो हि भवाँल्लोकांस्तेजसा यदि धक्ष्यते।
आर्ता: प्रजा नरव्याघ्र क्व नु यास्यन्ति निर्वृतिम्॥ ७॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुषसिंह! यदि आप दुःखी होकर अपने तेज से समस्त लोकों को दग्ध कर डालेंगे तो पीड़ित हुई प्रजा सुख और शांति के लिए किसकी शरण में जाएगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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