श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 66: लक्ष्मण का श्रीराम को समझाना  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.66.21 
 
 
किं ते सर्वविनाशेन कृतेन पुरुषर्षभ।
तमेव तु रिपुं पापं विज्ञायोद्धर्तुमर्हसि॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  पुरुष प्रवर! समस्त संसार को विनाश करने से आपको क्या लाभ होगा? उस पापी शत्रु को ही पहचानकर उसी को उखाड़ फेंकने का यत्न करना चाहिये।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे षट्षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें छाछठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ६॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.