पुरुष प्रवर! समस्त संसार को विनाश करने से आपको क्या लाभ होगा? उस पापी शत्रु को ही पहचानकर उसी को उखाड़ फेंकने का यत्न करना चाहिये।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे षट्षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें छाछठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ६॥