वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 66: लक्ष्मण का श्रीराम को समझाना
»
श्लोक 20
श्लोक
3.66.20
दिव्यं च मानुषं चैवमात्मनश्च पराक्रमम्।
इक्ष्वाकुवृषभावेक्ष्य यतस्व द्विषतां वधे॥ २०॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘इक्ष्वाकुकुलशिरोमणे! अपने देवोचित तथा मानवोचित पराक्रमको देखकर उसका अवसरके अनुरूप उपयोग करते हुए आप शत्रुओंके वधका प्रयत्न कीजिये॥ २०॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.