वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 66: लक्ष्मण का श्रीराम को समझाना
»
श्लोक 19
श्लोक
3.66.19
बुद्धिश्च ते महाप्राज्ञ देवैरपि दुरन्वया।
शोकेनाभिप्रसुप्तं ते ज्ञानं सम्बोधयाम्यहम्॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाप्राज्ञ! देवताओं के लिए भी आपकी बुद्धि का पता लगाना मुश्किल है। इस समय दुःख के कारण ऐसा लग रहा है कि आपका ज्ञान सो गया है। इसलिए मैं उसे जगा रहा हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.