श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 66: लक्ष्मण का श्रीराम को समझाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.66.19 
 
 
बुद्धिश्च ते महाप्राज्ञ देवैरपि दुरन्वया।
शोकेनाभिप्रसुप्तं ते ज्ञानं सम्बोधयाम्यहम्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  महाप्राज्ञ! देवताओं के लिए भी आपकी बुद्धि का पता लगाना मुश्किल है। इस समय दुःख के कारण ऐसा लग रहा है कि आपका ज्ञान सो गया है। इसलिए मैं उसे जगा रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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