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श्लोक 15
श्लोक
3.66.15
त्वद्विधा नहि शोचन्ति सततं सर्वदर्शना:।
सुमहत्स्वपि कृच्छ्रेषु रामानिर्विण्णदर्शना:॥ १५॥
अनुवाद
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आप जैसे सर्वज्ञ व्यक्ति बड़ी से बड़ी विपत्ति आने पर भी कभी शोक नहीं करते, क्योंकि आपकी दृष्टि हर जगह और हर काल में रहती है। आप निर्वेद और निराशा में नहीं पड़ते, और अपनी विवेकपूर्ण सोच को नष्ट नहीं होने देते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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