श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 65: लक्ष्मण का श्रीराम को समझा-बुझाकर शान्त करना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.65.12 
 
 
येन राजन् हृता सीता तमन्वेषितुमर्हसि॥ १२॥ मद‍‍‍्द्वितीयो धनुष्पाणि: सहायै: परमर्षिभि:।
 
 
अनुवाद
 
  राजन! जिसने सीता का अपहरण किया है, उसी का पता लगाना चाहिए। आप मेरे साथ धनुष लेकर चलें और महान ऋषियों की सहायता से उसका पता लगाएँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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