श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.64.8 
 
 
तत: प्रचोदिता भूतै: शंस चास्मै प्रियामिति।
न च सा ह्यवदत् सीतां पृष्टा रामेण शोचता॥ ८॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् वन के सभी जीवों ने सीता जी के बारे में पता बताने के लिए गोदावरी को प्रेरित किया। परंतु बहुत दुखी श्री राम के पूछने पर भी गोदावरी ने सीता जी के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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