श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 77
 
 
श्लोक  3.64.77 
 
 
पुरेव मे चारुदतीमनिन्दितां
दिशन्ति सीतां यदि नाद्य मैथिलीम्।
सदेवगन्धर्वमनुष्यपन्नगं
जगत् सशैलं परिवर्तयाम्यहम्॥ ७७॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि देवता और अन्य प्राणी आज मुझे दांतों के मोती से समान चमकीली और निर्दोष रूप से सुंदर मिथिलेश की राजकुमारी सीता को वापस नहीं करेंगे, तो मैं देवताओं, गंधर्वों, मनुष्यों, नागों और पहाड़ों सहित पूरी दुनिया को तहस-नहस कर दूंगा।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे चतु:षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ४॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें चौंसठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ४॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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