श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 76
 
 
श्लोक  3.64.76 
 
 
यथा जरा यथा मृत्युर्यथा कालो यथा विधि:।
नित्यं न प्रतिहन्यन्ते सर्वभूतेषु लक्ष्मण।
तथाहं क्रोधसंयुक्तो न निवार्योऽस्म्यसंशयम्॥ ७६॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण! जैसे बुढ़ापा, मृत्यु, काल और विधाता नियति नियम रूप में सभी प्राणियों पर प्रहार करते हैं और कोई उनका निवारण नहीं कर सकता, उसी प्रकार क्रोध में भर जाने पर मेरा कोई निवारण नहीं कर सकता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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