श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 70-71
 
 
श्लोक  3.64.70-71 
 
 
तथारूपां हि वैदेहीं न दास्यन्ति यदि प्रियाम्॥ ७०॥
नाशयामि जगत् सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम्।
यावद् दर्शनमस्या वै तापयामि च सायकै:॥ ७१॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि वे मेरी प्रिय सीता को उसी रूप में मुझे वापस नहीं लौटाएँगे तो मैं सभी जीवों सहित तीनों लोकों का विनाश कर दूँगा। जब तक मैं सीता के दर्शन नहीं कर लेता, तब तक मैं अपने बाणों से पूरे संसार को कष्ट पहुँचाता रहूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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