वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना
»
श्लोक 67-68h
श्लोक
3.64.67-68h
नैव देवा न दैतेया न पिशाचा न राक्षसा:॥ ६७॥
भविष्यन्ति मम क्रोधात् त्रैलोक्ये विप्रणाशिते।
अनुवाद
play_arrowpause
मेरा क्रोध त्रिलोकी का विनाश कर देगा। इससे न देवता बचेंगे, न दैत्य, न पिशाच और न ही राक्षस।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.