श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 66-67h
 
 
श्लोक  3.64.66-67h 
 
 
मम रोषप्रयुक्तानां विशिखानां बलं सुरा:॥ ६६॥
द्रक्ष्यन्त्यद्य विमुक्तानाममर्षाद् दूरगामिनाम्।
 
 
अनुवाद
 
  देवता देखने वाले हैं कि आज मेरा क्रोध और आक्रोश से किए गए धनुष के व्रिथा दूर तक जा रहे बाणों का बल कैसा है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.