श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  3.64.59 
 
 
ममास्त्रबाणसम्पूर्णमाकाशं पश्य लक्ष्मण।
असम्पातं करिष्यामि ह्यद्य त्रैलोक्यचारिणाम्॥ ५९॥
 
 
अनुवाद
 
  देखो लक्ष्मण! कुछ ही देर में तुम आकाश को मेरे द्वारा चलाए गए बाणों से भरा हुआ देखोगे और तीनों लोकों में विचरने वाले प्राणियों में तनिक भी हलचल नहीं होगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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