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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना
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श्लोक 58
श्लोक
3.64.58
नैव यक्षा न गन्धर्वा न पिशाचा न राक्षसा:।
किंनरा वा मनुष्या वा सुखं प्राप्स्यन्ति लक्ष्मण॥ ५८॥
अनुवाद
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लक्ष्मण! अब न तो यक्ष, न गंधर्व, न पिशाच, न राक्षस, न किन्नर और न ही मनुष्य चैन से रह पाएंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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