हृता मृता वा वैदेही भक्षिता वा तपस्विनी।
न धर्मस्त्रायते सीतां ह्रियमाणां महावने॥ ५२॥
अनुवाद
निश्चय ही वन में तप करने वाली विदेहराज की कुमारी सीता को कोई हर ले गया है, मृत्यु ने उन्हें आ गले लगाया है अथवा राक्षसों ने उन्हें खा लिया है। इस विशाल वन में हरती हुई सीता की रक्षा धर्म भी नहीं कर रहा है।