श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 5-6h
 
 
श्लोक  3.64.5-6h 
 
 
लक्ष्मणस्य वच: श्रुत्वा दीन: संतापमोहित:॥ ५॥
राम: समभिचक्राम स्वयं गोदावरीं नदीम्।
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के इन वचनों को सुनकर दीन और संताप से मोहित हुए श्रीरामचन्द्रजी स्वयं ही गोदावरी नदी के तट पर पधारे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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