श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 48-49h
 
 
श्लोक  3.64.48-49h 
 
 
रथाक्षमात्रा विशिखास्तपनीयविभूषणा:॥ ४८॥
कस्येमे निहता बाणा: प्रकीर्णा घोरदर्शना:।
 
 
अनुवाद
 
  ये जमीन पर बिखरे हुए भयंकर बाण किसके हैं? ये लंबाई और मोटाई में रथ के धुरे के समान हैं। इनके फल-भाग टूट गये हैं और ये सुवर्ण से सजाये गये हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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