श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 46-47h
 
 
श्लोक  3.64.46-47h 
 
 
काञ्चनोरश्छदाश्चेमे पिशाचवदना: खरा:॥ ४६॥
भीमरूपा महाकाया: कस्य वा निहता रणे।
 
 
अनुवाद
 
  यहाँ ये पिशाचों के समान भयंकर मुँह वाले गधे मृत पड़े हैं। इनका शरीर बहुत विशाल है। इनकी छाती पर सोने के कवच बँधे हैं। वे युद्ध में मारे गए प्रतीत होते हैं। पता नहीं ये किसके थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.