श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 34-35h
 
 
श्लोक  3.64.34-35h 
 
 
इमां वा सरितं चाद्य शोषयिष्यामि लक्ष्मण॥ ३४॥
यदि नाख्याति मे सीतामद्य चन्द्रनिभाननाम्।
 
 
अनुवाद
 
  (इसके बाद वह लक्ष्मण से बोले-) ‘लक्ष्मण! यदि यह नदी मुझे चंद्रमा के समान मुखवाली सीता का पता नहीं बताती है तो मैं इसे भी सुखा दूँगा’।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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