वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना
»
श्लोक 29-30h
श्लोक
3.64.29-30h
कच्चित् क्षितिभृतां नाथ दृष्टा सर्वाङ्गसुन्दरी॥ २९॥
रामा रम्ये वनोद्देशे मया विरहिता त्वया।
अनुवाद
play_arrowpause
क्या पर्वतों के स्वामी! क्या आपने इस खूबसूरत जंगल में सर्वांग सुंदर सीता को देखा है जो मुझसे बिछड़ गई है?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.