वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना
»
श्लोक 25-26h
श्लोक
3.64.25-26h
पुष्पवृष्टिं निपतितां दृष्ट्वा रामो महीतले॥ २५॥
उवाच लक्ष्मणं वीरो दु:खितो दु:खितं वच:।
अनुवाद
play_arrowpause
वीर श्रीराम ने धरती पर फूलों की वर्षा होते देख दु:खी होकर लक्ष्मण से यह दु:ख भरा वचन कहा—।।२५ १/२।।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.