श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  3.64.24-25h 
 
 
एवं सम्भाषमाणौ तावन्योन्यं भ्रातरावुभौ॥ २४॥
वसुंधरायां पतितपुष्पमार्गमपश्यताम्।
 
 
अनुवाद
 
  वे दोनों भाई आपस में इसी प्रकार की बातें करते हुए चले जा रहे थे और तभी उन्होंने देखा कि जमीन पर फूल गिरे हुए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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