श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 18-19h
 
 
श्लोक  3.64.18-19h 
 
 
मैथिली ह्रियमाणा सा दिशं यामभ्यपद्यत॥ १८॥
तेन मार्गेण गच्छन्तो निरीक्षन्ते नराधिपम्।
 
 
अनुवाद
 
  मिथिलेशकुमारी सीता जिस दिशा की ओर जा रही थीं, उसके मार्ग से जाते हुए श्री रामचन्द्र जी मुड़-मुड़कर सीता जी को देखते जा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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