श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.64.14-15h 
 
 
मन्दाकिनीं जनस्थानमिमं प्रस्रवणं गिरिम्॥ १४॥
सर्वाण्यनुचरिष्यामि यदि सीता हि लभ्यते।
 
 
अनुवाद
 
  मन्दाकिनी नदी, जिन स्थानों से लक्ष्मण जी प्रकट हुए हैं तथा प्रस्रवण पर्वत, इन स्थानों पर मैं बार-बार घूमूंगा शायद वहाँ सीता का पता चल जाए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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