वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना
»
श्लोक 14-15h
श्लोक
3.64.14-15h
मन्दाकिनीं जनस्थानमिमं प्रस्रवणं गिरिम्॥ १४॥
सर्वाण्यनुचरिष्यामि यदि सीता हि लभ्यते।
अनुवाद
play_arrowpause
मन्दाकिनी नदी, जिन स्थानों से लक्ष्मण जी प्रकट हुए हैं तथा प्रस्रवण पर्वत, इन स्थानों पर मैं बार-बार घूमूंगा शायद वहाँ सीता का पता चल जाए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.