श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 12-13h
 
 
श्लोक  3.64.12-13h 
 
 
या मे राज्यविहीनस्य वने वन्येन जीवत:॥ १२॥
सर्वं व्यपानयच्छोकं वैदेही क्व नु सा गता।
 
 
अनुवाद
 
  वन में निवास करने के दौरान और जंगली फलों से जीवनयापन करने पर भी मेरे साथ रहकर मेरे समस्त दुःखों को दूर करनेवाली वैदेही राजकुमारी कहाँ चली गई?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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