श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 64: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज, आभूषणों के कण और युद्ध के चिह्न देखकर श्रीराम का देवता आदि सहित समस्त त्रिलोकी पर रोष प्रकट करना  »  श्लोक 11-12h
 
 
श्लोक  3.64.11-12h 
 
 
एषा गोदावरी सौम्य किंचिन्न प्रतिभाषते।
किं नु लक्ष्मण वक्ष्यामि समेत्य जनकं वच:॥ ११॥
मातरं चैव वैदेह्या विना तामहमप्रियम्।
 
 
अनुवाद
 
  सौम्य लक्ष्मण! यह गोदावरी नदी मुझसे ज़रा भी बात नहीं करती है। अब मैं राजा जनक से मिलने पर उन्हें क्या उत्तर दूँगा? सीता के बिना उसकी माता से मिलकर मैं उनसे यह दुखद बात कैसे कहूँगा?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.