श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 63: श्रीराम का विलाप  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.63.4 
 
 
पूर्वं मया नूनमभीप्सितानि
पापानि कर्माण्यसकृत्कृतानि।
तत्रायमद्यापतितो विपाको
दु:खेन दु:खं यदहं विशामि॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  निस्संदेह, पिछले जन्म में मैंने अपनी इच्छा के अनुसार कई बार पाप कर्म किए थे। उन्हीं कर्मों में से कुछ का फल आज मुझे मिल रहा है, जिससे मैं एक दुख से दूसरे दुख में फंसता जा रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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