श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 63: श्रीराम का विलाप  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.63.11 
 
 
मया विहीना विजने वने सा
रक्षोभिराहृत्य विकृष्यमाणा।
नूनं विनादं कुररीव दीना
सा मुक्तवत्यायतकान्तनेत्रा॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  मेरे चले जाने के बाद सुनसान जंगल में राक्षसों ने उसे खींच-खींच कर ले जाया होगा और बड़ी-बड़ी मनोहर आँखों वाली वह जानकी बहुत दुःखी होकर कोयल की तरह विलाप करती रही होगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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