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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 8-9h
श्लोक
3.62.8-9h
एतानि मृगयूथानि साश्रुनेत्राणि लक्ष्मण॥ ८॥
शंसन्तीव हि मे देवीं भक्षितां रजनीचरै:।
अनुवाद
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लक्ष्मण! ये मृगसमूह अपनी आँखों में आँसू लिए हुए ऐसा प्रतीत हो रहे हैं मानो वे मुझसे कह रहे हों कि देवी सीता को निशाचरों ने खा लिया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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