वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 62: श्रीराम का विलाप
»
श्लोक 5
श्लोक
3.62.5
कर्णिकारवनं भद्रे हसन्ती देवि सेवसे।
अलं ते परिहासेन मम बाधावहेन वै॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
भद्रे देवी! तुम नंदनवन में कर्णिकार फूल से हँसने का सेवन कर रही हो। सको तो इसे रोक लो, मुझे तुम्हारे इस हँसने से खल रहा है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.