श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 62: श्रीराम का विलाप  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.62.5 
 
 
कर्णिकारवनं भद्रे हसन्ती देवि सेवसे।
अलं ते परिहासेन मम बाधावहेन वै॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  भद्रे देवी! तुम नंदनवन में कर्णिकार फूल से हँसने का सेवन कर रही हो। सको तो इसे रोक लो, मुझे तुम्हारे इस हँसने से खल रहा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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