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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 16-17h
श्लोक
3.62.16-17h
गाढमाश्लिष्य भरतो वाच्यो मद्वचनात् त्वया॥ १६॥
अनुज्ञातोऽसि रामेण पालयेति वसुंधराम्।
अनुवाद
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भरत को हृदय से लगाकर तुम उनसे मेरा यह संदेश कह देना, "कैकेयी के पुत्र! सारी पृथ्वी पर शासन करना तुम्हारा कर्तव्य है, इसके लिए राम ने तुम्हें आज्ञा दी है।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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