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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 15-16h
श्लोक
3.62.15-16h
तन्मामुत्सृज्य हि वने गच्छायोध्यापुरीं शुभाम्॥ १५॥
न त्वहं तां विना सीतां जीवेयं हि कथंचन।
अनुवाद
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तुम मुझे वन में ही छोड़कर सुंदर अयोध्यापुरी लौट जाओ। मैं सीता के बिना जीवित नहीं रह सकता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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