श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 62: श्रीराम का विलाप  »  श्लोक 12-13h
 
 
श्लोक  3.62.12-13h 
 
 
निवृत्तवनवासश्च जनकं मिथिलाधिपम्॥ १२॥
कुशलं परिपृच्छन्तं कथं शक्ष्ये निरीक्षितुम्।
 
 
अनुवाद
 
  जब मैं वनवास से लौटूँगा और मिथिला के राजा जनक मेरे कुशल-क्षेम पूछने आएंगे, तो मैं उनकी ओर कैसे देख सकूँगा?
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.