श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 62: श्रीराम का विलाप  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.62.1 
 
 
सीतामपश्यन् धर्मात्मा शोकोपहतचेतन:।
विललाप महाबाहू राम: कमललोचन:॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  धर्मात्मा और शक्तिशाली महाबाहु श्रीराम, सीता को न देखकर शोक से व्याकुल होकर विलाप करने लगे। उनके कमल के समान सुंदर नेत्रों से आंसू बहने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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