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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता
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श्लोक 9-10
श्लोक
3.61.9-10
विवशं शोकसंतप्तं दीनं भग्नमनोरथम्॥ ९॥
मामिहोत्सृज्य करुणं कीर्तिर्नरमिवानृजुम्।
क्व गच्छसि वरारोहे मा मोत्सृज सुमध्यमे॥ १०॥
अनुवाद
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वरारोहे! सुमध्यमे! सीते! मैं विवश, शोकसंतप्त, दीन, भग्नमनोरथ हो करुणाजनक अवस्था में पड़ गया हूँ। जैसे कुटिल मनुष्य से कीर्ति छूट जाती है उसी तरह तुम मुझे यहाँ छोड़कर कहाँ चली जा रही हो? सीते, मुझे न छोड़ो, न छोड़ो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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