श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 8-9h
 
 
श्लोक  3.61.8-9h 
 
 
कामवृत्तमनार्यं वा मृषावादिनमेव च॥ ८॥
धिक् त्वामिति परे लोके व्यक्तं वक्ष्यति मे पिता।
 
 
अनुवाद
 
  ‘तुम-जैसे स्वेच्छाचारी, अनार्य और मिथ्यावादीको धिक्कार है। यह बात परलोकमें पिताजी मुझसे अवश्य कहेंगे’॥ ८ १/२॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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