वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता
»
श्लोक 8-9h
श्लोक
3.61.8-9h
कामवृत्तमनार्यं वा मृषावादिनमेव च॥ ८॥
धिक् त्वामिति परे लोके व्यक्तं वक्ष्यति मे पिता।
अनुवाद
play_arrowpause
‘तुम-जैसे स्वेच्छाचारी, अनार्य और मिथ्यावादीको धिक्कार है। यह बात परलोकमें पिताजी मुझसे अवश्य कहेंगे’॥ ८ १/२॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.