श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  3.61.4 
 
 
वृक्षेणावार्य यदि मां सीते हसितुमिच्छसि।
अलं ते हसितेनाद्य मां भजस्व सुदु:खितम्॥ ४॥
 
 
अनुवाद
 
  सीते, यदि तुम वृक्षों के पीछे छिपकर मुझपर हँसना चाहती हो, तो यह ठीक नहीं है। मैं बहुत दुखी हूँ, तुम मेरे पास आ जाओ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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