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श्लोक 28
श्लोक
3.61.28
स विह्वलितसर्वाङ्गो गतबुद्धिर्विचेतन:।
निषसादातुरो दीनो नि:श्वस्याशीतमायतम्॥ २८॥
अनुवाद
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उनके पूरे शरीर में स्तब्धता छा गई, बुद्धि काम नहीं कर रही थी, होशियारी छूटती जा रही थी। वे गहरी और लंबी साँसें लेते हुए दुखी और निराश होकर विषाद में डूब गए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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