श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.61.25 
 
 
एवमुक्तस्तु वीरेण लक्ष्मणेन स राघव:।
उवाच दीनया वाचा दु:खाभिहतचेतन:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर लक्ष्मण के ऐसा कहने पर दुःख के मारे व्याकुलचित्त हुए श्रीरघुनाथजी ने दीन वाणी में कहा—।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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