श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.61.22 
 
 
विचित्य सर्वत: शैलं रामो लक्ष्मणमब्रवीत्।
नेह पश्यामि सौमित्रे वैदेहीं पर्वते शुभाम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचन्द्रजी ने उस पर्वत पर सब ओर खोज की। इसके बाद उन्होंने लक्ष्मण से कहा — ‘सुमित्रानंदन! मुझे इस पर्वत पर सुन्दर वैदेही कहीं दिखाई नहीं देतीं’।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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