श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 17-18h
 
 
श्लोक  3.61.17-18h 
 
 
तस्या ह्यन्वेषणे श्रीमन् क्षिप्रमेव यतावहे॥ १७॥
वनं सर्वं विचिनुवो यत्र सा जनकात्मजा।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीमन्! जिस वन में जानकी के होने की सम्भावना हो, उन सर्वत्र स्थानों पर हमें दोनों को शीघ्र ही उनकी खोज करने का प्रयास करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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