श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 12-13
 
 
श्लोक  3.61.12-13 
 
 
अनासादयमानं तं सीतां शोकपरायणम्॥ १२॥
पङ्कमासाद्य विपुलं सीदन्तमिव कुञ्जरम्।
लक्ष्मणो राममत्यर्थमुवाच हितकाम्यया॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  जैसे कोई हाथी बड़े गहरे कीचड़ में धंसकर परेशानी में होता है, उसी प्रकार सीता को न पाकर बहुत दुख में डूबे श्रीराम को उनका हित चाहकर लक्ष्मण इस प्रकार बोले-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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