श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 61: श्रीराम और लक्ष्मण के द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता  »  श्लोक 11-12h
 
 
श्लोक  3.61.11-12h 
 
 
त्वया विरहितश्चाहं त्यक्ष्ये जीवितमात्मन:।
इतीव विलपन् राम: सीतादर्शनलालस:॥ ११॥
न ददर्श सुदु:खार्तो राघवो जनकात्मजाम्।
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे वियोग में मैं अपने प्राण त्याग दूँगा। इस प्रकार अत्यधिक दुःख और पीड़ा से व्याकुल हो विलाप करते-करते रघुकुल-नंदन श्रीराम सीता के दर्शन के लिए अत्यधिक लालायित हो गए, परंतु उन्हें जनकनंदिनी सीता कहीं भी दिखाई नहीं पड़ीं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.