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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 60: श्रीराम का विलाप करते हुए वृक्षों और पशुओं से सीता का पता पूछना, भ्रान्त होकर रोना और बारंबार उनकी खोज करना
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श्लोक 11
श्लोक
3.60.11
वृक्षाद् वृक्षं प्रधावन् स गिरींश्चापि नदीनदम्।
बभ्राम विलपन् राम: शोकपङ्कार्णवप्लुत:॥ ११॥
अनुवाद
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वृक्ष से वृक्ष की ओर दौड़ते हुए भगवान श्रीरामचंद्रजी ने पर्वतों, नदियों और नदियों के किनारे भटकना शुरू कर दिया। शोक के समुद्र में डूबे श्रीरामचंद्रजी विलाप करते हुए वृक्षों से पूछने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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