श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 60: श्रीराम का विलाप करते हुए वृक्षों और पशुओं से सीता का पता पूछना, भ्रान्त होकर रोना और बारंबार उनकी खोज करना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.60.10 
 
 
यत्नान्मृगयमाणस्तु नाससाद वने प्रियाम्।
शोकरक्तेक्षण: श्रीमानुन्मत्त इव लक्ष्यते॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  श्रीरामचंद्रजी ने जंगल में अपनी प्रिय पत्नी सीता को बड़ी मेहनत से ढूँढा, लेकिन कहीं भी उनका पता नहीं चला। शोक के कारण भगवान राम की आँखें लाल हो गईं और वे पागल की तरह दिखने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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