श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 60: श्रीराम का विलाप करते हुए वृक्षों और पशुओं से सीता का पता पूछना, भ्रान्त होकर रोना और बारंबार उनकी खोज करना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.60.1 
 
 
भृशमाव्रजमानस्य तस्याधो वामलोचनम्।
प्रास्फुरच्चास्खलद् रामो वेपथुश्चास्य जायते॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  आश्रम की ओर चलते समय श्रीराम की बाईं आँख की नीचे वाली पलक जोर-जोर से फड़कने लगी। चलते-चलते वे लड़खड़ाने लगे और उनके शरीर में काँपने जैसा अहसास होने लगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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