श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 6: वानप्रस्थ मुनियों का राक्षसों के अत्याचार से अपनी रक्षा के लिये श्रीरामचन्द्रजी से प्रार्थना करना और श्रीराम का उन्हें आश्वासन दे  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.6.20 
 
 
परा त्वत्तो गतिर्वीर पृथिव्यां नोपपद्यते।
परिपालय न: सर्वान् राक्षसेभ्यो नृपात्मज॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर राजकुमार! इस धरती पर हमारी रक्षा के लिए आपसे बढ़कर कोई नहीं है। आप ही हमें राक्षसों से बचाकर रखिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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