वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 6: वानप्रस्थ मुनियों का राक्षसों के अत्याचार से अपनी रक्षा के लिये श्रीरामचन्द्रजी से प्रार्थना करना और श्रीराम का उन्हें आश्वासन दे
»
श्लोक 1
श्लोक
3.6.1
शरभङ्गे दिवं प्राप्ते मुनिसङ्घा: समागता:।
अभ्यगच्छन्त काकुत्स्थं रामं ज्वलिततेजसम्॥ १॥
अनुवाद
play_arrowpause
शरभंग मुनि के स्वर्ग लोक चले जाने पर तेजस्वी ककुत्स्थवंशी श्रीरामचंद्रजी के पास कई मुनि समुदाय में आये।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.