वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 59: श्रीराम और लक्ष्मण की बातचीत
»
श्लोक 7
श्लोक
3.59.7
आर्येणेव परिक्रुष्टं लक्ष्मणेति सुविस्वरम्।
परित्राहीति यद्वाक्यं मैथिल्यास्तच्छ्रुतिं गतम्॥ ७॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘बिलकुल आपकी समान आवाज़ में किसी ने जोर-जोर से पुकारा, "लक्ष्मण! मुझे बचाओ"। यह वाक्य मिथिलेशकुमारी के कानों में भी पड़ गया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.